🌸सुप्रभात🌸 🌞🌹🥀🌸☕🙏🏻ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।। आप सभी को #भगवान_परशुराम की जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌹💐🌹🙏🏻🙏🏻🚩🏹#जय_श्री_राम🏹🚩🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो 🌹🌹🌸🙏🏻😊शांत है तो श्रीराम है।भड़क गए तो परशुराम है।।भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी के जन्मोत्सव एवं अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं।शुभ अक्षय तृतीया।🚩🙏🏻जय श्रीराम।🚩🙏🏻जय श्री परशुराम 🚩🙏🏻#परशुराम_जन्मोत्सव #परशुराम #अक्षय_तृतीयाभगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर चार वेदों की रक्षा की थी मत्स्यावतार भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से एक है। विष्णु को पालनकर्ता कहा जाता है अत: वह ब्रह्मांड की रक्षा हेतु विविध अवतार धरते हैं। जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है तब भगवान विष्णु अवतरित होते हैं।एक हज़ार महायुग मिलकर एक कल्प होता है। एक कल्प ब्रह्मा का एक दिन होता है (रात का व़क्त इसमें शामिल नहीं है) दिन के समाप्त होते ही उन्हें नींद आ जाती है। वही कल्पांत है। उस व़क्त चारों ओर गहरा अंधेरा छा जाता है। विष्णु से निकली संकर्षण की अग्नि सब को जला देती है। झंझावात चलने लगते हैं, तब भयंकर काले बादल हाथी की सूंडों जैसी जलधाराएँ लगातार गिराने लगती हैं। महासमुद्र में आसमान को छूनेवाला उफान होता है। भू, भुवर और स्वर्ग लोक डूब जाते हैं। चारों तरफ़ जल को छोड़ कुछ दिखाई नहीं देता। यही ब्रह्मा के सोने की रात प्रलयकाल है। ब्रह्मा जब नींद के मारे पहले जंभाइयाँ ले रहे थे, तब उनके चारों मुखों से सफ़ेद, लाल, पीले और नीले रंगों में चमकनेवाले चार वेद बाहर निकले और नीचे गिर गये। हयग्रीव ने उन वेदों को उठा ले जाकर समुद्र के अन्दर छिपा दिया। हयग्रीव देवताओं और विष्णु का भी दुश्मन था। वेदों के बिना ब्रह्मा सृष्टि की रचना नहीं कर सकते थे। हर एक कल्प में विष्णु अच्छाई को बढ़ावा देकर उसका विकास करना चाहते थे। उनके इस संकल्प को बिगाड़ देना ही हयग्रीव का लक्ष्य था। तब भगवान विष्णु अपने प्राथमिक अवतार मत्स्य के रूप में अवतीर्ण हुए और स्वयं को एक छोटी, लाचार मछली बना लिया।सुबह सत्यव्रत सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो। दया और धर्म के अनुसार इस राजा ने मछली को अपने कमंडल में ले लिया और घर की ओर निकले, घर पहुँचते तक वह मत्स्य उस कमंडल के आकार का हो गया, राजा नें इसे एक पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मत्स्य उस पात्र के आकार की हो गई। अंत में राजा नें उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढँक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त को यह सूचित किया कि उस दिवस के ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा तत्पश्चात् विश्व का नया श्रृजन होगा वे सत्यव्रत को सभी जड़ी-बूटी, बीज और पशुओं, सप्त ऋषि आदि को इकट्ठा करके प्रभु द्वारा भेजे गए नाव में संचित करने को कहा।फिर यह अति-विशाल मछली हयग्रीव को मारकर वेदो को गुमनाम होने से बचाया और उसे ब्रह्मा को दे दिया। जब ब्रह्मा अपने नींद से उठे जो परलय के अन्त में था, इसे ब्रम्ह की रात पुकारा जाता हैं, जो गणना के आधार पर 4320000000 सालो तक चलता है। जब ज्वार ब्रम्हांड को भस्म करने लगा तब एक विशाल नाव आया, जिस पर सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर बाँध लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया। रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने सत्यव्रत को मत्स्य पुराण सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नवयुग में प्रसारित किया।….. अक्सर लोग प्रश्न उठाते हैं कि ब्राह्मण होकर भी भगवान् परशुराम में क्षत्रियोचित गुण का आधिक्य क्यों था ? ….. एक क्षत्रिय राजा थे , उनके केवल एक पुत्री संतान थी . उनके राज्य में एक ‘ ऋचीक ‘ नाम के ऋषि रहते थे . राजा ने ऋषि से निवेदन करके अपनी पुत्री का विवाह उनसे कर दिया . विवाह के पश्चात राजा की पत्नी ने अपनी पुत्री ( ऋषि पत्नी ) से कहा कि हे ! पुत्री जब आपके पति अपने लिए पुत्र की कामना से यज्ञ करें तो इनसे निवेदन करके मेरे लिए भी एक पुत्र का वरदान मांग लेना , पुत्री ने कहा ठीक है . …..कालान्तर में जब ऋषि ने पुत्र की कामना से यज्ञ किया तो इनकी पत्नी ने अपनी माता का सन्देश उन्हें दिया . ….. ऋषि ने कहा एवमस्तु . तत्पश्चात ऋषि ने दो हांडी में खीर पकाई , और एक हांडी अपनी पत्नी को दी और कहा कि यह खीर तुम बरगद के वृक्ष के नीचे जाकर खा लेना , और यह दूसरी हांडी की खीर अपनी माता को दे देना और कहना कि वे पीपल के वृक्ष के नीचे बैठ कर यह खीर खा लें . ….. ऋषि पत्नी ने विचार किया कि , माता के घर चलकर दोनों लोग खीर खायेंगे . ….. जब वह माता के घर पहुँची तो माता ने कहा कि पुत्री तुम्हारे तो और भी पुत्र हो जायेंगे , मेरे केवल यही एक होगा , और तुम्हारे पति ने अपने लिए श्रेष्ठ पुत्र की कामना से खीर बनायी होगी , अत: हम लोग खीर आपस में बदल लेते हैं . ….. ऋषि पत्नी ने यह बात मान ली , और खीर की हांडी बदल कर ऋषि पत्नी ने माता वाली खीर पीपल के नीचे , और माता ने ऋषि पत्नी वाली खीर बरगद के नीचे खाली . …..कालान्तर में दोनों गर्भवती हुई , ऋषि ने जब अपनी पत्नी का मुख और शरीर देखा तो कहा कि कुछ बदलाव है और उन्होंने खीर वाली बात पूछी , तब ऋषि पत्नी ने सब सही बता दिया . तब ऋषि बोले यह तो बड़ा अनर्थ हो गया , क्योंकि मैंने आपकी माता के लिए क्षत्रिय गुण-धर्म से विभूषित खीर बनायी थी और आपके लिए ब्राह्मण गुण-धर्म से विभूषित , ऐसा सुन कर ऋषि पत्नी दुखी हो गयी , और बोली इस बात से मुक्ति कैसे मिले . …..तब ऋषि ने कहा कि अब मैं कुछ नहीं कर सकता , तब ऋषि पत्नी ने विलाप शुरू कर दिया . …..अंत में ऋषि ने कहा कि , जो मैंने अपने तपोबल से खीर बनायी थी उसका असर तो समाप्त नहीं होगा , लेकिन मैं ऐसा कर सकता हूँ , इस पीढी में तो हमारे यहाँ ब्राह्मण गुण-धर्म से विभूषित पुत्र होगा , और आपकी माता के यहाँ क्षत्रिय गुण-धर्म से विभूषित पुत्र होगा , किन्तु अगली पीढी में वह गुण-धर्म बदल जाएगा और अपने यहाँ जो हमारा पौत्र होगा वह क्षत्रिय गुण -धर्म वाला , और आपकी माता के यहाँ उनका पौत्र ब्राह्मण गुण-धर्म वाला होगा …ऋषि पत्नी ने कहा ठीक है ऐसा मुझे स्वीकार है . ….. इसी के फलस्वरूप राजा के यहाँ ‘ गाधि ‘ नामक पुत्र हुए , और ऋषि के यहाँ ‘ जमदग्नि ‘ हुए और अगली पीढी में गाधि के पुत्र ‘विश्वामित्र ‘ हुए जो ब्रह्म बल की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयत्नशील रहे , और ब्राह्मणोंचित गुण धर्म वाले थे …और ऋषि पुत्र जमदग्नि के यहाँ परशुराम जी का जन्म हुआ जो क्षत्रिय गुण-धर्म वाले थे…. …… यह एक पौराणिक कथानक है………………. जय परशुराम…भगवान.
🚩‼️ जय श्री हरि बिष्णु ‼️🚩🙏ॐ नीलांजन सामाभासं,रविपुत्रं यमाग्राजम.!!छायॎमातृण्डसम्भूतं तं,नमामि शनैश्चरम्..🙏संकट कटै मिटे सब पीरा!जो सुमिरै हनुमत बलबीरा!!🚩भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर चार वेदों की रक्षा की थी मत्स्यावतार भगवान विष्णु का अवतार है जो उनके दस अवतारों में से एक है। विष्णु को पालनकर्ता कहा जाता है अत: वह ब्रह्मांड की रक्षा हेतु विविध अवतार धरते हैं। जब संसार को किसी प्रकार का खतरा होता है तब भगवान विष्णु अवतरित होते हैं।एक हज़ार महायुग मिलकर एक कल्प होता है। एक कल्प ब्रह्मा का एक दिन होता है (रात का व़क्त इसमें शामिल नहीं है) दिन के समाप्त होते ही उन्हें नींद आ जाती है। वही कल्पांत है। उस व़क्त चारों ओर गहरा अंधेरा छा जाता है। विष्णु से निकली संकर्षण की अग्नि सब को जला देती है। झंझावात चलने लगते हैं, तब भयंकर काले बादल हाथी की सूंडों जैसी जलधाराएँ लगातार गिराने लगती हैं। महासमुद्र में आसमान को छूनेवाला उफान होता है। भू, भुवर और स्वर्ग लोक डूब जाते हैं। चारों तरफ़ जल को छोड़ कुछ दिखाई नहीं देता। यही ब्रह्मा के सोने की रात प्रलयकाल है। ब्रह्मा जब नींद के मारे पहले जंभाइयाँ ले रहे थे, तब उनके चारों मुखों से सफ़ेद, लाल, पीले और नीले रंगों में चमकनेवाले चार वेद बाहर निकले और नीचे गिर गये। हयग्रीव ने उन वेदों को उठा ले जाकर समुद्र के अन्दर छिपा दिया। हयग्रीव देवताओं और विष्णु का भी दुश्मन था। वेदों के बिना ब्रह्मा सृष्टि की रचना नहीं कर सकते थे। हर एक कल्प में विष्णु अच्छाई को बढ़ावा देकर उसका विकास करना चाहते थे। उनके इस संकल्प को बिगाड़ देना ही हयग्रीव का लक्ष्य था। तब भगवान विष्णु अपने प्राथमिक अवतार मत्स्य के रूप में अवतीर्ण हुए और स्वयं को एक छोटी, लाचार मछली बना लिया।सुबह सत्यव्रत सूर्यदेव को अर्घ्य दे रहे थे तभी एक मछली नें उनसे कहा कि आप मुझे अपने कमंडल में रख लो। दया और धर्म के अनुसार इस राजा ने मछली को अपने कमंडल में ले लिया और घर की ओर निकले, घर पहुँचते तक वह मत्स्य उस कमंडल के आकार का हो गया, राजा नें इसे एक पात्र पर रखा परंतु कुछ समय बाद वह मत्स्य उस पात्र के आकार की हो गई। अंत में राजा नें उसे समुद्र में डाला तो उसने पूरे समुद्र को ढँक लिया। उस सुनहरी-रंग मछली ने अपने दिव्य पहचान उजागर की और अपने भक्त को यह सूचित किया कि उस दिवस के ठीक सातवें दिन प्रलय आएगा तत्पश्चात् विश्व का नया श्रृजन होगा वे सत्यव्रत को सभी जड़ी-बूटी, बीज और पशुओं, सप्त ऋषि आदि को इकट्ठा करके प्रभु द्वारा भेजे गए नाव में संचित करने को कहा।फिर यह अति-विशाल मछली हयग्रीव को मारकर वेदो को गुमनाम होने से बचाया और उसे ब्रह्मा को दे दिया। जब ब्रह्मा अपने नींद से उठे जो परलय के अन्त में था, इसे ब्रम्ह की रात पुकारा जाता हैं, जो गणना के आधार पर 4320000000 सालो तक चलता है। जब ज्वार ब्रम्हांड को भस्म करने लगा तब एक विशाल नाव आया, जिस पर सभी चढ़े। मत्स्य भगवान ने उसे सर्पराज वासुकि को डोर बनाकर बाँध लिया और सुमेरु पर्वत की ओर प्रस्थान किया। रास्ते में भगवान मत्स्य नारायण ने सत्यव्रत को मत्स्य पुराण सुनाया और इस तरह प्रभु ने सबकी प्रलय से रक्षा की, तथा पौधों तथा जीवों की नस्लों को बचाया और मत्स्य पुराण की विद्या को नवयुग में प्रसारित किया।
“वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभनिर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा”🚩🥀🌺☀️ #शुभप्रभात_स्नेहवंदन🙏🏻⚜️🏵️#ॐ_गं_गणपतये_नमो_नमः #ॐ_लम्बोदराय_नमः #गणपति_बप्पा_मोरिया #ॐ_गणेशाय_देवाय_नमः #जय_श्री_गणेश 🚩🔱 #सनातन_धर्म_की_जय_हो ☘️🙏🏻🚩🍃 #सनातन_धर्म_ही_सर्वश्रेष्ठ_धर्म_हैं 🍃🙏🏻भगवान श्री गणेश जी की आप सभी पर कृपादृष्टि बनी रहे..🥰🙏🏻#जय_जय_श्री_राम #जय_श्री_हरि_विष्णु #जयहनुमान #जय_श्री_राम #जय_श #जयश्रीकृष्णा #जय_माता_दी #जय_श्री_कृष्णा #जय #जयश्रीराम🚩 #जयबजरंगबली #जय_श्री_महाकाल #जय_श्री_राम #ज #जय_श्री_हरि_नारायण #जय_श्री_राधे_कृष्णा #जय___श्री____राम #जय_श्री_राम
नामसंकीर्तनं यस्य सर्वपापप्रणाशनम्।प्रणामो दुःखशमनस्तं नमामि हरिं परम्।।#ॐ_विष्णवे_नम: 🙏💐🚩 #ॐ_नमो_भगवते_वासुदेवाय_नमः 🙏🪔परम पिता से प्रार्थना है कि वो सब का कल्याण करें और अपनी अपार कृपा दृष्टि बनाये रखें। 🙏❤️❣️🕉👏‼️ #राम_राम_जी ‼️👏🕉❣️*दुनिया चले न श्री राम के बिना।**राम जी चलें न हनुमान के बिना।।**जब से रामायण पढ़ ली है।**मैंने एक बात समझ ली है।।**रावण मरे न श्री राम के बिना।**लंका जले न हनुमान के बिना।।**सीता हरण की कहानी सुनो।**वनवारी भक्तों मेरी जुवानी सुनो।।**सीता मिले न श्री राम के बिना।**पता चले न हनुमान के बिना।।**लक्ष्मण का बचना मुश्किल था।**कौन बूटी लाने के क़ाबिल था।।**लक्ष्मण बचें न श्री राम के बिना।**बूटी मिले न हनुमान के बिना।।**बैठे सिंघासन पर श्रीराम जी।**चरणों में बैठे हैं हनुमान जी।।**मुक्ति मिले न श्री राम के बिना।**भक्ति मिले न हनुमान के बिना।।**दुनिया चले न श्री राम के बिना।**राम जी चलें न हनुमान के बिना।।*
🕉 नमो महालक्ष्मी
! नमस्ते स्तु महामाये श्री पीठे सुर पूजीते
शंख चक्र गदा हस्ते महालक्ष्मी नमोस्तुते !
*घर की असली लक्ष्मी तो घर की स्त्री होती है
जिस घर में इनका सन्मान होता है
माँ लक्ष्मी सदा वही निवास करती है*
माता रानी की कृपा आप सभी पर सदैव बनी रहे
शुभ प्रभात 🙏
नामसंकीर्तनं यस्य सर्वपापप्रणाशनम्।प्रणामो दुःखशमनस्तं नमामि हरिं परम्।।#ॐ_विष्णवे_नम: 🙏💐🚩 #ॐ_नमो_भगवते_वासुदेवाय_नमः 🙏🪔परम पिता से प्रार्थना है कि वो सब का कल्याण करें और अपनी अपार कृपा दृष्टि बनाये रखें। 🙏❤️❣️🕉👏‼️ #शुभ_प्रभात ‼️👏🕉❣️
*दुनिया चले न श्री राम के बिना।*
*राम जी चलें न हनुमान के बिना।।*
*जब से रामायण पढ़ ली है।*
*मैंने एक बात समझ ली है।।*
*रावण मरे न श्री राम के बिना।*
*लंका जले न हनुमान के बिना।।*
*सीता हरण की कहानी सुनो।*
*वनवारी भक्तों मेरी जुवानी सुनो।।*
*सीता मिले न श्री राम के बिना।*
*पता चले न हनुमान के बिना।।*
*लक्ष्मण का बचना मुश्किल था।*
*कौन बूटी लाने के क़ाबिल था।।*
*लक्ष्मण बचें न श्री राम के बिना।*
*बूटी मिले न हनुमान के बिना।।*
*बैठे सिंघासन पर श्रीराम जी।*
*चरणों में बैठे हैं हनुमान जी।।*
*मुक्ति मिले न श्री राम के बिना।*
*भक्ति मिले न हनुमान के बिना।।*
*दुनिया चले न श्री राम के बिना।*
*राम जी चलें न हनुमान के बिना।।*